Veerane Tak Jana Hai
As low as
₹399.00
In stock
Only %1 left
SKU
9789355182852
लोग शायरी क्यों करते हैं, शेर क्यों कहते हैं ये ठीक-ठीक कह पाना मुश्किल है। इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश में ही शायद बरसों से शायरी हो रही है और शेर कहे जा रहे हैं। शायरी न होती तो जाने कितनी बातें अनकही रह जातीं और कितने जज़्बों को इजहार नहीं मिल पाता। इन्सानी जज़्बों की पेचीदगी को लफ़्ज़ों की आसानी देती कुछ ग़ज़लों ने इकट्ठा होकर इस किताब की शक्ल ले ली है जिसका नाम है वीराने तक जाना है! ज़िंदगी की भाग-दौड़ में अक्सर नज़र-अन्दाज़ कर दी जाने वाली बातें जब किसी शेर की शक्ल में सामने आती हैं तो आम होकर भी ये बातें हमें चौंका देती हैं। इसका मतलब ये निकलता है कि हमारे इर्द-गिर्द कुछ भी आम नहीं है। यही बात इस किताब में बार-बार कहने की कोशिश की गयी है। शायरी में रवायत का हाथ थामे हुए भी एक अलग डिक्शन पैदा किया जा सकता है, ऐसे शेर कहे जा सकते हैं जो अपने वक़्त की ज़बान और जज़्बात के साथ मेल खाते हों। ऐसे ही कुछ शेर इस किताब में पढ़े जा सकते हैं जो एक ही वक़्त में नये और पुराने दोनों लगते हैं। हमने अपने मौसम अपने रंग-ओ-बू ईजाद किये वरना बोलो इस दुनिया ने हम जैसे कब याद किये! सोशल मीडिया के आने से कला को देखने-समझने का ढंग बदला है। शायरी भी इस बदलाव से अछूती नहीं रही है। यही वजह है कि शायरी भी नित-नये रूप बनाकर अपने सुनने-पढ़ने वालों तक पहुँच रही है। इस किताब को तरतीब देते वक़्त अदायगी या प्रेजेंटेशन पर बहुत ध्यान दिया गया है। शायरी की किताबों में रेखाचित्र पहले भी देखे गये हैं मगर कैलिग्राफ़ी बहुत कम देखी गयी है। जाने-माने कैलिग्राफ़र डॉ. शिरीष शिरसाट जी ने इस किताब को अपने अक्षरों के मोती दिये हैं। कुछ अशआर को उन्होंने कैलिग्राफ़ी के जरिये इलस्ट्रेट भी किया है जो शायद किसी किताब में पहली बार हो रहा है। इस लिहाज़ से इस किताब का हर पन्ना अपने-आप में एक छोटी-सी कलाकृति है। उम्मीद है कि वीडिओज़ और फ़ोटोज़ से मुक़ाबला करती किताब को एक नया रूप देने की ये कोशिश लोगों को पसन्द आयेगी!