Yuddhabeej
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"युद्धबीज -
राजसत्ता और धर्मसत्ता पर अधिकार जमाये बैठे लोगों के भीतर फैले अपराध-बोध के कारण मानवीय मूल्यों, आदर्शों और टूटती मर्यादाओं को अभिव्यंजित करनेवाले इस उपन्यास में समकालीन मनुष्य की चिन्ता तथा उसके नैतिक सरोकारों को व्यक्त किया गया है। दरअसल, संवेदना के धरातल पर अलग रंग और मिज़ाज के इस उपन्यास 'युद्धबीज' में सामाजिक न्याय के लिए स्वयं को समर्पित कर देनेवाले एक अद्भुत चरित्र की सृष्टि हुई है, जो उदासी, आत्म-वितृष्णा और आक्रोश की परिधि में जीने के लिए विवश है।
इस उपन्यास में आस्था और आशंका, संकल्प और संघर्ष के बीच भावनाओं के जटिल संसार को मूर्त करने की पहल है। अपनी ही उपजाई परिस्थितियों और अपने ही बोये युद्धबीजों के त्रासद फलों को भोगने-काटने को बाध्य एक असहाय पीढ़ी की पतन की कहानी के साथ ही मानवीय गुणों और उसकी भी दुर्दम्य शक्तियों की संघर्ष-कथा है यह उपन्यास —'युद्धबीज'।
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