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Chhah Lambi Kahaniyan

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"जाने-माने कथाकार एस. आर. हरनोट के लेखन की शुरुआत हिमाचल के पर्यटक-स्थलों का अभिराम रूप प्रस्तुत करने से हुई थी। लेकिन उसके बाद जल्दी ही उनकी कहानियों ने हिन्दी के विशाल पाठक-वर्ग का ध्यान खींचा और यह माना जाने लगा कि पहाड़ी जीवन के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन के अन्तर्विरोधों और स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की मार्मिक कहानियाँ हरनोट के पास हैं। आरम्भिक कहानियों में हरनोट की दृष्टि अपने आसपास तक सीमित थी पर धीरे-धीरे दृष्टि का विकास हुआ और उन्होंने अपनी ही सीमाओं का अतिक्रमण कर पहाड़ी जीवन के बहुविध अनदेखे पक्षों पर बेहतरीन कहानियाँ लिखीं। लम्बी कहानियों का शिल्प धैर्य चाहता है, जो हरनोट के पास प्रचुर मात्रा में है। लम्बी कहानियों का रचना-विधान उपन्यास जैसा विस्तृत होता है लेकिन पात्र और कथा का वितान उपन्यास से अलग होता है। उपन्यास का कथा-फलक विस्तृत होता है और लम्बी कहानियों का गहरा। हरनोट लम्बी कहानियों के साध्य कथाकार हैं। उनकी लम्बी कहानियों में सामाजिक-राजनीतिक संघर्ष हैं, विकास के नाम पर प्रकृति के साथ किये जा रहे क्रूर अत्याचार हैं, धर्म के नाम पर रूढ़ियों की स्थापना और अन्धविश्वासों को बढ़ावा देने का विरोध है, स्त्रियों के निजी और सामूहिक संघर्षों को हरनोट जिस तरह उभारते हैं, उससे उनकी कहानियों का तेवर तल्ख़ होता है। उनके यहाँ स्त्रियाँ अपने पूर्ण स्त्रीत्व से परिपूर्ण होने के बावजूद विद्रोही हैं। यह कहना अधिक उचित होगा कि हरनोट की कहानियों की स्त्रियाँ अधिक ओजस्वी और चैतन्य हैं। विकास के नाम पर पहाड़, नदियाँ और प्राकृतिक सम्पदाओं के शोषण के ख़िलाफ़ हरनोट हर नयी कहानी में खड़े होते हैं और अपना स्वर बुलन्द करते हैं। हरनोट की लम्बी कहानियाँ न केवल शिल्प बल्कि अपनी क़िस्सागोई के अनूठे प्रयोग से भी पाठकों का ध्यान खींचेंगी, ऐसा मेरा विश्वास है। - प्रो. सूरज पालीवाल "
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Chhah Lambi Kahaniyan
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एस.आर. हरनोट (S.R. Harnot)

"एस. आर. हरनोट जन्म : हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की पंचायत व गाँव चनावग में 22 जनवरी, 1955 के दिन| पुस्तकें : उपन्यास : ‘हिडिम्ब और नदी-रंग जैसी लड़की’, कहानी-संग्रह : ‘दारोश तथा अन्य कहानियाँ’, ‘मिट्टी के लोग’, ‘जीनकाठी’, ‘लिटन ब्लॉक गिर रहा है’, ‘कीलें’, ‘पंजा’, ‘आकाशबेल’, ‘पीठ पर पहाड़’, चयन और संकलन : ‘आधार चयन कहानियाँ’, ‘10 प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘नदी ग़ायब है’, ‘भागा देवी का चायघर’ (पहाड़ की संघर्षशील स्त्रियों की कहानियाँ)। दो कहानी-संग्रह अंग्रेज़ी में अनूदित : (1) Cats Talk- कैम्ब्रिज स्कॉलर्ज यू. के. से प्रकाशित 12 कहानियों का संग्रह, (2) Mafia -14 कहानियों का संग्रह| हिमाचल की संस्कृति, मन्दिर और यात्राओं पर पाँच पुस्तकें। एस.आर. हरनोट के साहित्यिक मूल्यांकन पर तीन आलोचना पुस्तकें : (1) एस. आर. हरनोट एक शिनाख़्त, ( 2 ) सजग कथाकार हरनोट, ( 3 ) Multi- Thematic Analysis of Conventions and Contemporaneity in the Himalayas as depicted in S.R. Harnot's Cats Talk| साहित्यिक पत्रिका 'सेतु' तथा 'कविकुम्भ' द्वारा हरनोट की रचनाशीलता पर विशेषांक प्रकाशित। सम्मान और पुरस्कार : 'अन्तरराष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान', 'जे. सी. जोशी शब्द-साधक जनप्रिय लेखक सम्मान’, ‘हिमाचल राज्य अकादमी पुरस्कार', 'आनन्द सागर कथाक्रम सम्मान', हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा ‘पर्यटन और साहित्य सम्मान', यूको बैंक द्वारा 'भाषा-सेतु चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' सम्मान', ‘प्रलिलिपि सम्मान', प्रतिष्ठित दैनिक समाचारपत्र 'दिव्य हिमाचल' का 'ऑथर ऑफ़ द ईयर' और 'एक्सेलेंस एवार्ड'। 'भारत रत्न बाबा साहब आम्बेडकर सम्मान', हिमाचल निर्माता 'डॉ. यशवन्त सिंह सम्मान'। शोध एवं पाठ्यक्रमों में कहानियाँ : देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब तक 22 एम. फिल. और 18 पीएच.डी. तथा कई पीएच. डी. शोधों में उपन्यास और कहानियाँ शामिल। एन. सी. ई. आर. टी. सहित 13 कहानियाँ हिन्दी और अंग्रेज़ी में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के बी. ए. और एम.ए. के पाठ्यक्रमों में शामिल। ‘दारोश’, ‘लाल होता दरख़्त' और 'कीलें' कहानियों पर लघु फ़िल्में निर्मित, कुछ कहानियों के नाट्य- रूपान्तर और मंचन। अन्य : साहित्यिक और सामाजिक एक्टिविस्ट| ग्रामीण विकास सभा, चनावग (शिमला) और हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच का गठन और संचालन। प्रतिवर्ष निर्मल वर्मा स्मृति-यात्रा, बाबा भलकू कालका शिमला साहित्य रेल-यात्रा, ओकार्ड इंडिया के साथ राष्ट्रीय पुस्तक मेला, शिमला, प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में साहित्य-उत्सव, सम्मान समारोह और बच्चों के लिए विशेष साहित्यिक आयोजन। "

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