Panipat
पानीपत
कथाकारों के लिए ‘इतिहास' का सर्जनात्मक इस्तेमाल हमेशा एक चुनौती रहा है। सन् 1761 का पानीपत का तीसरा युद्ध तो लेखकों के साथ ही इतिहास-प्रेमियों के लिए भी कौतूहल का विषय रहा है। यह प्रीतिकर संयोग है कि मराठी के अग्रणी उपन्यासकार विश्वास पाटील ने इस चुनौती को स्वीकार किया और कलात्मक समग्रता और प्रतीकात्मकता के साथ पानीपत की सर्जना की।
पानीपत ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसका लेखन-प्रकाशन भारतीय साहित्य की एक ऐतिहासिक महत्त्व की घटना है। नवम्बर 1988 में प्रकाशित होते ही इस उपन्यास को पाठक-समाज में अद्भुत यश और लोकप्रियता मिली और विश्वास पाटील भी मराठी साहित्य जगत् में शिखर पर प्रतिष्ठित हो गये। कहा जा सकता है कि भारतीय ऐतिहासिक उपन्यास-लेखन में पानीपत हर दृष्टि से एक जीवन्त प्रतिमान है।
पानीपत का विषय व्यक्ति-प्रधान न होकर राष्ट्र के जीवन की एक बहुत बड़ी युद्ध-घटना है, जिसमें एक विशिष्ट कालखण्ड के सामाजिक एवं सांस्कृतिक अर्थबोध का समन्वय है। इन सबको उपन्यास का मर्मस्पर्शी रूप देते हुए विश्वास पाटील ने यह बराबर ध्यान रखा है कि ऐतिहासिक सत्य और तथ्य की मर्यादा की क्षति न हो और अपनी विशिष्टता के साथ उसकी अनुगूँज भी बनी रहे।
अनेक पुरस्कारों से सम्मानित इस अद्वितीय उपन्यास का हिन्दी पाठकों के लिए प्रस्तुत है यह नया संस्करण ।